RFID क्या है? और कैसे काम करता है? | What is RFID in Hindi

हैलो दोस्तों, आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से RFID के बारे में जानेंगे। कि आखिर RFID क्या है? और यह टेक्नोलॉजी किस तरह काम करती है। RFID Technology से संबंधित हर छोटी-बड़ी जानकारी यहाँ आपको मिलेगी।

क्या आपको पता है? जब भी हम अपने वाहन से टोल प्लाजा से गुजरते हैं। तो हमारी गाड़ी पर लगे Fastag से आखिर कैसे टोल टैक्स काट दिया जाता है। इसमें ऐसी कौन सी तकनीक शामिल है।

साथ ही किसी शॉपिंग मॉल में खरीदारी करने पर हर प्रोडक्ट पर एक Tag लगा होता है और मॉल के किसी भी प्रोडक्ट को कोई भी व्यक्ति चुरा नहीं सकता। क्योंकि अगर वह ऐसा काम करेगा। तो हम मॉल के Exit Gate पर लगे।

RFID Antenna प्रोडक्ट पर लगे RFID Tags के जरिए उस व्यक्ति को एक तेज बीप साउंड देकर पकड़वा देंगे। ऐसी सभी जगहों में RFID का प्रयोग किया जाता है। यह सब कार्य RFID Technology से ही संभव हो पाए हैं। ऐसे ही बहुत से उदाहरण इस Technology के हैं। जिसके बारे में भी हम आगे विस्तार पूर्वक जानेंगे।

तो चलिए दोस्तों RFID क्या है? और RFID कैसे काम करता है? इसके प्रकार, घटक, फायदे और नुकसान साथ ही RFID का उपयोग कहां पर किया जाता है। इससे जुड़ी पूरी जानकारी हम आर्टिकल में जानेंगे। कृपया ध्यानपूर्वक पढ़ें और समझें।

RFID क्या है? (What is RFID in Hindi)

RFID kya hai

RFID का पूरा मतलब “Radio Frequency Identification” होता है। जिसे हिंदी में ‘रेडियो आवृति पहचान’ कहा जाता है। यह एक वायरलेस तकनीक से संबंधित है। यह टेक्नॉलजी RFID System के तहत काम करती है। जिसमें RFID Tags, Antenna, RFID Reader शामिल होते है। RFID Technology के ज़रिए किसी वस्तु को Identify, Track, और Monitor कर सकते है। यह टेक्नॉलजी पूरी तरह से रेडियो तरंगों पर आधारित है।

उदाहरण: शॉपिंग मॉल में और टोल प्लाजा पर लगे फास्टैग में भी आर.एफ.आईडी (RFID) का उपयोग किया जाता है।इस टेक्नोलॉजी के द्वारा किसी भी ऑब्जेक्ट को एक निश्चित दूरी तक ट्रैक किया जा सकता है। जिसके बारे में हम RFID Frequency Range के बारे में आगे जानेंगे।

RFID Technology का इतिहास (History Of RFID)

RFID तकनीक दूसरे विश्व युद्ध के समय की है। हालांकि इसका अलग-अलग कार्यों में उपयोग वर्तमान में किया जा रहा है।

  • वर्ष 1922 में रडार टेक्नोलॉजी का आविष्कार किया गया।
  • वर्ष 1930 के दशक में रडार से मिलती-जुलती तकनीक का उपयोग किया जा रहा था। जो दूसरे विश्व युद्ध में दुश्मन देश के विमान को पहचान सके। उस तकनीक का नाम IFF (Identification Of Friend And Foe) था।
  • वर्ष 1940 के दशक में स्वीडन देश के साइंटिस्ट ने आर.एफ.आईडी टेक्नोलॉजी को बनाया। जिनका नाम ‘Harry Stockman’ था। हालांकि बाद में वर्ष 1983 में ‘Charles Walton’ नामक अमेरिकी अविष्कारक ने RFID का Patent करवा लिया था।
  • वर्ष 1950 के दशक में इस टेक्नोलॉजी का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाने लगा।
  • वर्ष 1970 के दशक में RFID का इस्तेमाल वाहन को ट्रैक करने और टोल कलेक्शन, फैक्ट्री ऑटोमेशन जैसे कार्यों में किया जाने लगा।
  • वर्ष 1980 के आते-आते यह तकनीक पूरी तरह से हर काम में उपयोग लाई जाने लगी।
  • वर्ष 2000 के दशक में RFID को विकसित किया गया। जो अब भी जारी है। कई व्यवसायो के द्वारा इस तकनीक को अपनाया गया। जो उनके लिए आज फायदेमंद सिद्ध हुआ है।

RFID System क्या होता है?

RFID System में RFID तकनीक में उपयोग होने वाली सभी घटकों (Components) को शामिल किया जाता है। जो RFID को किसी काम में उपयोग हेतु एक सिस्टम तैयार करते हैं। नीचे बताया गया है कि RFID System में क्या-क्या महत्वपूर्ण घटक शामिल होते हैं। जो RFID के काम करने की प्रणाली को आसान तरीके से समझने में हमारी मदद करेंगे।

1. RFID Tags (Transponder)

इन टैग्स में किसी भी प्रोडक्ट या वस्तु की जानकारी Encode होती है। जिसे ‘इंटीग्रेटेड सर्किट’ कहा जाता है। इसके अलावा इसमें एक Antenna होता है। RFID Tags से रेडियो सिगनल (RF) लगातार निकलते रहते हैं। जिसे Antenna और RFID Reader के द्वारा टैग में मौजूद डाटा को Read किया जाता है। इन tags में किसी वस्तु की जानकारी ID Number, KB Size में Encode की जाती है। यह टैग्स Read-Only Tag और Read-Write Tag भी होते हैं।

Read-Only Tags

जो Read-Only Tags होते है। उसमें सिर्फ़ एक यूनिट Serial Number होता है। जो किसी ऑब्जेक्ट को सिर्फ़ Read कर सकता है। उस टैग्स में मौजुद जानकारी को दोबारा Modified नहीं किया जा सकता। Read- Only टैग्स की मेमोरी बहुत कम होती है। इसीलिए सिर्फ़ एक ही बार उपयोग किए जाते है। जैसे कि शॉपिंग मॉल में कपड़ों पर टैग्स लगे होते है। इसीलिए यह tags सस्ते होते है।

Read-Write Tags

Read-Write Tags वे टैग होते है। जिसमें मौजुद किसी ऑब्जेक्ट की जानकारी को Read/Write किया जाता है। और उस जानकारी को Modified किया जा सकता है। इन टैग्स की अपनी memory होती है। इसी वजह से यह read-Only tags के मुक़ाबले महँगे होते है।

2. Antenna

RFID system में एंटीना सबसे महत्वपूर्ण घटक है। यह विद्युत को रेडियो तरंगों में बदल कर RFID Reader और Tags के बीच data संचारित करता है। Reader Antenna से प्राप्त रेडियो तरंगों को Read कर पाता है। फिर Tags में मौजूद जानकारी Supporting Software तक भेज प्रोडक्ट को Identify कर लिया जाता है।

3. RFID Reader (Interrogator)

Reader के द्वारा Tags की जानकारी को पढ़ा जाता है। जिससे वह किसी ऑब्जेक्ट को Identify, Track और Monitor कर पाता है। यह टैग और अपने बीच में बेहतर संचार के लिए एंटीना का उपयोग करता रहता है। रीडर और एंटीना दोनों से बार-बार Radio signal निकलते रहते हैं। जो ऑब्जेक्ट की जानकारी को Supporting Software तक भेज प्रोसेस करते हैं।

4. Supporting Software

RFID Reader के द्वारा Tags से ली गई जानकारी को Supporting Software के द्वारा Analysis किया जाता है। यह सॉफ्टवेयर टैग्स में मौजूद डाटा को Decode और Process करता है। जिससे RFID Tags में मौजूद डाटा को Read कर लिया जाता है।

RFID कैसे काम करता है?

RFID technology को कई अलग-अलग कार्यों में उपयोग किया जाता है। चाहे वह Library, Shopping Mall, Hospital, Retail, Access Control या Security उद्देश्य क्यों न हो। परंतु हर कार्य में वही RFID System काम में लाया जाता है। जिसमें RFID Tags, Antenna, RFID reader और Supporting Software शामिल होता है।

अब हम शॉपिंग मॉल का उदाहरण लेकर जानते है कि RFID (Radio Frequency Identification) कैसे काम करता है।

किसी प्रोडक्ट पर लगे RFID Tag को RFID Reader के निकट लाया जाता है। Tag में Microchip और Antenna लगा होता है। माइक्रोचिप में नए प्रोडक्ट की जानकारी सीरियल नंबर में Encode होती है और एंटीना माइक्रोचिप के डाटा को रेडियो सिग्नल (RF) के द्वारा Reader तक पहुंचाता रहता है। Reader से भी रेडियो तरंगे लगातार निकलती रहती हैं।

जो टैग्स में मौजूद data को Read करते हैं। इसके बाद रीडर Product की जानकारी को केबल के जरिए Supporting Software तक पहुंचा देता है। जहां RFID Data को प्रोसेस किया जाता है और प्रोडक्ट को Identify, Track, monitor की यह प्रक्रिया पूरी होती है और Tags को नष्ट कर दिया जाता है।

RFID Tags के कितने प्रकार होते है?

इन टैग्स को इनकी फ्रीक्वेंसी रेंज के आधार पर उपयोग में लाया जाता है। RFID Tags दो प्रकार के होते हैं। जो इस प्रकार है।

1. Active RFID Tags

Active RFID Tags आकार में एक स्मार्टफोन से थोड़े छोटे होते हैं और इन टैग्स के अंदर एक बैटरी लगी होती है। जो 4 से 5 साल तक चलती है। यह टैग्स UHF (अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी) पर किसी बड़े ऑब्जेक्ट को ट्रैक कर सकते हैं। इसकी फ्रीक्वेंसी 433MHz और 2.45GHz होती है। इन टैग्स की ऑब्जेक्ट को रीड करने की रेंज 150m तक होती है।

बता दें कि इन्हें बड़े उद्योगों जैसे Large Assets, constructions, mining, Vehicle आदि में अत्यधिक उपयोग किया जाता है। Active RFID Tags की स्टोरेज क्षमता 512kb तक होती है। इसलिए इनकी कीमत $20 से $150 तक होती है।

Active RFID Tag भी दो प्रकार के होते हैं- 1. Transponder 2. Beacons

  1. Transponder: यह टैग तभी काम करता है। जब इसे RFID Reader से रेडियो सिगनल मिलता है। सिग्नल मिलने के बाद यह ऑब्जेक्ट की जानकारी को Back Signal भेज रीडर तक पहुंचाता है। इनका उपयोग Secure Access Control में किया जाता है।
  2. Beacons: यह टैग लगातार रेडियो सिग्नल भेजते रहते हैं। इनका उपयोग real-time Locating System के तौर पर किया जाता है। इसे रीडर के सिग्नल की जरूरत नहीं होती। इसे ऐसी जगह लगाया जाता है। जहां या खुद लगातार सिग्नल भेजकर Reader को ऑब्जेक्ट को Track, Monitor, Identify करने के लिए कहता है।Transponder के मुकाबले Beacons ज्यादा दूरी से ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग कर सकता है।

2. Passive RFID Tags

passive RFID Tags में कोई बैटरी नहीं होती। यह भी Integrated Circuit और Antenna से बना होता है। रीडर से भेजी गई रेडियो तरंगे एंटीना तक पहुंचती है। जिससे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव उत्पन्न होती है। जिससे इसमें मौजूद सर्किट चालू हो जाता है। जिसमें से डाटा सिग्नल के जरिए RFID Reader तक पहुंचता है और Read कर लिया जाता है।

passive RFID Tags आकार में पतले परंतु छोटे होते है। यह हर प्रकार की फ्रीक्वेंसी में ऑपरेट कर सकते है।

  • Low Frequency (LF) 125-134KHz
  • high Frequency (HF) 13.56MHz
  • Ultra High Frequency (UHF) 856MHz – 960MHz

इन टैग्स की किसी ऑब्जेक्ट को पढ़ने की दूरी 15 मीटर होती है। साथ ही इन टैग्स का उपयोग लगभग सब जगहों पर किया जाता है। इसलिए यह सस्ते होते हैं। इनकी Storage Capacity सिर्फ 1KB तक होती है। क्योंकि यह Tags सिर्फ एक बार Read करते हैं। इनमें दोबारा डाटा Write नहीं किया जा सकता। इनका उपयोग हेल्थ केयर, मैन्युफैक्चरिंग, रीटेल में सबसे ज्यादा किया जाता है। passive RFID Tags की क़ीमत $1 प्रति टैग होती है।

RFID Frequency Range क्या होती है?

RFID Tags अलग-अलग फ्रीक्वेंसी के आधार पर डेटा ट्रैक कर पाते है। यह फ्रीक्वेंसी LF (Low Frequency), HF (High Frequency), UHF (Ultra High Frequency) होती है। इनके हिसाब से Radio waves व्यवहार करती है और इन फ्रिकवेंसी का उपयोग आर.एफ.आईडी टैग्स में अलग-अलग कार्यों के लिए किया जाता है। tags की फ्रीक्वेंसी कम या ज्यादा होने पर डाटा को धीमा या तेज गति से रीड किया जाता है। अब हम RFID Tags Frequency Range के बारे में ज़ानेगे।

जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया है। कि Passive RFID System LF, HF, UHF फ्रीक्वेंसी पर ऑपरेट करते हैं।तो वहीं बता दें की Active RFID System सिर्फ़ UHF (Ultra High Frequency) पर कार्य करते हैं। चलिए अब विस्तार से जानते हैं।

1. Low Frequency (LF)

इनकी फ्रीक्वेंसी बेहद कम होती है। जो सिर्फ 100cm की दूरी तक किसी ऑब्जेक्ट का डाटा Read कर सकते हैं। ऐसे टैग्स सिस्टम की फ्रीक्वेंसी 30KHz से 300KHz तक होती है। जिसका उपयोग Access Control, Animal Identification, Healthcare संबंधित डेटा ट्रैकिंग में किया जाता है। क्यूँकि इनकी दूरी बेहद कम होती है।

2. High Frequency (HF)

इनकी फ्रीक्वेंसी LF से थोड़ी ज्यादा होती है। यह 10cm या 1m दूरी तक डाटा को रीड कर सकता है। HF Frequency Tag system का उपयोग ट्रैकिंग आइटम्स डाटा रीडिंग में किया जाता है।

3. Ultra High Frequency (UHF)

इस सिस्टम की फ्रीक्वेंसी HF के मुकाबले ज्यादा होती है। इसके Frequency band की रेंज 300MHz से 3GHz तक होती है। हालांकि इस रेंज को ज्यादा करने के लिए कई अलग तरीकों को खोजा गया है। जिसमें एंटीना का उपयोग कर इसकी रेंज को 12m से ज्यादा किया गया है यानी कि 12m से ज्यादा दूरी तक यह आब्जेक्ट को रीड कर सकता है।

Active RFID Systems Frequency

Active RFID Systems मे सिर्फ Ultra High Frequency (UHF) उपयोग होती है। जिसकी दूरी 100m से ज्यादा होती है। क्यूँकी इन टैग्स की खुद को बैटरी लगी होती है। और Antenna होते है। जिसकी वजह से यह ज्यादा दूरी तक वस्तुओ को Read कर सकता है। Active RFID Systems का उपयोग बड़े ऑब्जेक्ट के डाटा को Read करने के लिए किया जाता है।

साथ ही जैसा कि हमने आपको बताया कि इसके दो प्रकार Transponder और Beacons होते है। इन दोनो प्रकारों का उपयोग कम या ज्यादा दूरी के ऑब्जेक्ट को Read करने के लिए लिया जाता है। इनका उपयोग Outdoor Applications के लिए ज्यादा किया जाता है।

RFID का उपयोग कहाँ किया जाता है?

RFID Tags के अलग-अलग आकार और माप है। इसलिए इसे कहीं भी किसी ऑब्जेक्ट को Identify, Track, Monitor करने हेतु उपयोग किया जा सकता है।

  1. RFID का उपयोग पशुओं को ट्रैक करने के लिए किया जाता है। चावल जितनी छोटी माइक्रोचिप को त्वचा के अंदर लगा दिया जाता है।
  2. RFID का उपयोग किसी वृक्ष या लकड़ी से बनी वस्तु को पहचानने हेतु उपयोग किया जाता है। पेंच के आकार की चिप को Wooden मे फिट कर दिया जाता है।
  3. ऐसे Tags जो किसी बिजनेस कार्ड के आकार जैसे दिखाई देते हैं। ऐसे टैग्स का उपयोग किसी Application को Access करने हेतु उपयोग किया जाता है।
  4. शॉपिंग मॉल में कपड़ों को चोरी होने से बचाने के लिए भी Anti-Theft RFID Tags लगाए जाते हैं।
  5. RFID का उपयोग किसी व्यक्ति, जरूरी संपत्ति, डॉक्यूमेंट, कार को identify करने के लिए कर सकते हैं।
  6. एयरपोर्ट पर यात्रियों के सामान को ट्रैक और पहचाने हेतु भी RFID Tags उपयोग में लाए जाते हैं।
  7. RFID का उपयोग Access Control System में ज्यादा किया जाता है।
  8. इसका उपयोग Electronic  Passport मे किया जाता है।
  9. टोल प्लाजा पर वाहन ट्रैकिंग में RFID Technology का उपयोग किया जाता है।
  10. हेल्थ केयर में भी मरीज और उसकी दवाई की पहचान के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

RFID Technology के फ़ायदे?

  1. एक ही स्कैन में कई ऑब्जेक्ट को Read किया जा सकता है।
  2. Tags के प्रकार के अनुसार यह कई वर्षों तक उपयोग किए जाते हैं।
  3. ज्यादा दूरी से भी ऑब्जेक्ट रीड करने में सहायक।
  4. Passive Tags काफी सस्ते होते हैं।
  5. हर वस्तु को Track, Identify, Monitor कर सकते हैं।

RFID Technology के नुक़सान?

  1. Active Tags काफी महंगे होते हैं।
  2. Passive Tags की स्टोरेज क्षमता कम होने के कारण कई जगहों पर यह एक ही बार उपयोग में लाए जाते हैं। उदाहरण: रिटेल
  3. RFID के लिए अभी कोई भी नियम और शर्तें लागू नहीं है।
  4. रेडियो सिग्नल को आसानी से ब्लॉक किया जा सकता है। जिससे डाटा Read नहीं किया जा सकता।
  5. RFID System को मैनेज करने में ज्यादा लोगों की जरूरत पड़ती है।

RFID का हिंदी अर्थ क्या है?

RFID को हिंदी में ‘रेडियो आवृति पहचान’ कहते है।

RFID Tags कितने प्रकार के होते है?

RFID Tags मुख्यत: दो प्रकार के होते है- 1. Active RFID Tags 2. Passive RFID Tags

कौन-से टैग्स Read-Only और Read/Write टैग्स कहलाते है?

Passive RFID Tags को Read-Only टैग्स कहा जाता है। जबकि Active RFID Tags Read/Write टैग्स कहा जाता है।

RFID की फ़ुल फ़ॉर्म क्या है?

RFID की फ़ुल फ़ॉर्म “Radio Frequency Identification” है।

RFID किस टेक्नॉलजी से संबंधित है?

यह वायरलेस टेक्नॉलजी से संबंधित है।

निष्कर्ष –

आखिर में दोस्तों RFID के भविष्य की बात करें। तो आज हर उद्योग में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। सेना से जुड़े कार्य, ट्रैफिक कंट्रोल जैसे: फास्टैग में RFID Technology का उपयोग काफी ज्यादा किया जा रहा है। समय के साथ धीरे-धीरे इस तकनीक का विकास किया गया है और अब भी इसकी रेंज को बढ़ाने के लिए GPS Technology की टेस्टिंग शुरू हो चुकी है।

RFID क्या है? हमें आशा है की अब आप Radio Frequency Identification यानी RFID से जुड़ी हर जानकारी को जान चुके होंगे। अगर आपका इस आर्टिकल से जुड़ा कोई सवाल है। तो नीचे कॉमेंट करके अवश्य पूछे। हमारे इस काम को आगे ज़रूर शेयर करें।

मेरा नाम Abhishek है। इस ब्लॉग का संस्थापक और लेखक हूं। मै Yoabby.com पर सभी आर्टिकल को हिंदी भाषा में लिखता हूं। मुझे लिखने का बहुत पहले से ही शौक था। ब्लॉगिंग के द्वारा मैं अपने शौक को भी पूरा कर रहा हूं। और साथ ही YoAbby.com पर आए लोगों को टेक्नोलॉजी के बारे में हिंदी भाषा में आर्टिकल उपलब्ध करवा रहा हूं।

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