हैलो दोस्तों, आज इस आर्टिकल में क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में जानेंगे। जिसमें Cloud Computing क्या हैं? और कैसे क्लाउड टेक्नॉलजी का उपयोग कर हम अपने स्टोरेज, पैसा, समय को बचा सकते है। इससे जुड़ी तमाम जानकारी हम आपको देंगे।
क्या आपको पता है? संयुक्त राज्य अमेरिका में 60% से ज्यादा इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट क्लाउड सर्विस पर विश्वास करते हैं। जिस पर बिज़नेस संबंधी डाटा व यूज़र्स का डाटा सुरक्षित रहता है।
Cloud Computing का उपयोग हम भी अपने स्मार्टफोन, कंप्यूटर में अपनी वीडियो, डॉक्यूमेंट, पिक्चर को सुरक्षित स्टोर करने में करते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण Google Drive और iCloud है। जो हमें क्लाउड सर्विसेज मुहैया कराते हैं।
वहीं कई बड़ी Cloud Computing Services कंपनी है। जो कई बिजनेस को अपनी सर्विस किराए पर देती है। जैसे AWS (Amazon Web Services), Azure- Microsoft, Google- Google Cloud यह ऐसे बड़े क्लाउड प्लेटफॉर्म है।
जो नए बिजनेस को अपने क्लाउड सर्विस देते हैं। जिसमें नए शुरू हुए बिजनेस के यूजर्स के डाटा को स्टोर, मैनेज, सुरक्षित करने का खर्चा कम हो जाता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी पूरी तरह से इंटरनेट पर आधारित है। इसलिए Google Drive और iCloud पर हम इंटरनेट का प्रयोग कर इन Cloud Services का फायदा ले सकते हैं। जो पूरी तरह से सुरक्षित भी होगा और हमारे Storage को भी बचाएगा।
तो चलिए अब Cloud Computing क्या हैं? और क्लाउड टेक्नोलॉजी की विशेषताएं, प्रकार एवं अनुप्रयोग को जानते हैं।इस आर्टिकल को अंत तक पड़े जिससे कोई जानकारी आप से ना छूटे।
Cloud क्या है?
क्लाउड एक सर्वर टेक्नोलॉजी है। इन सर्वर को इंटरनेट के जरिए Access किया जाता है। वही इन सर्वर में बिजनेस और यूजर संबंधी डाटाबेस और एप्लीकेशन को स्टोर किया जाता है। इसलिए जब भी हम Web Apps का उपयोग कर उसमें ईमेल से लॉग-इन करते हैं तो सर्वर से सारी जानकारी हमें अपने मोबाइल, कंप्यूटर पर मिल जाती है।
यह सब क्लाउड सर्विस ही होती हैं। जिसमें इंटरनेट से Web Apps हमारे सोशल मीडिया अकाउंट या निजी डेटा को सुरक्षित, स्टोर, मैनेज करती है। जिसकी बदोलत हम अपने Data को Access कर पाते हैं। वह डेटा चाहे किसी भी तरह का हो जैसे: Video, picture, Files.
Cloud Computing क्या हैं? (Cloud computing in Hindi)
Cloud Computing ऐसी सर्विस है। जिसके द्वारा हम अपने बिजनेस या पर्सनल उपयोग के लिए वर्चुअल स्टोरेज को क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर से किराए पर ले सकते हैं। AWS (Amazon Web Services), Azure, Google यह Cloud Service Provider है। जिसमें यूज़र्स को अपना डाटा अपलोड, डाउनलोड और बैकअप की सुविधा मिलती है।
क्लाउड कम्प्यूटिंग उदाहरण: ICloud, Google Drive, Dropbox इन क्लाउड स्टोरेज पर यूजर अपने डाटा को अपनी मर्जी अनुसार उपयोग कर सकता है। चाहे उसमें Videos, Files, pictures को स्टोर करना हो।
वहीं अगर किसी को अपना Business शुरू करना है और खुद के Server बनाने पर आने वाले खर्च और नुकसान से बचना है तो Aws (Amazon web Service), IBM Cloud, Google cloud Service, Microsoft cloud से Cloud Storage को खरीद सकते हैं। यूजर अपने डाटा को सुरक्षित करने के लिए मजबूत पासवर्ड का उपयोग करते हैं।
बता दें कि इन क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर्स पर आपके डाटा को चुराने या लीक होने जैसी कभी कोई समस्या नहीं आती है यह सर्वर अपनी security को हमेशा अपडेट करते रहते हैं।
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क्लाउड कंप्यूटिंग का इतिहास (Cloud Computing History in Hindi)
क्लाउड कंप्यूटिंग की शुरुआत टेक्नोलॉजी को पूरे विश्व तक पहुंचाने के सपने से हुई। जिसकी वजह से आज “Cloud” बिजनेस उद्देश्य से लेकर हर इंटरनेट यूजर के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है।
- वर्ष 1960 में Benjamin Curley ने विश्व का पहला मिनी कंप्यूटर बनाया।
- वर्ष 1961 में महान कंप्यूटर साइंटिस्ट John MCcarthy ने विश्व को क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में बताया।
- वर्ष 1969 में ARPAnet को J.C.R licklider ने बनाया। ARPAnet की कंप्यूटर नेटवर्क को विकसित करने में अहम भूमिका है। क्लाउड कंप्यूटिंग में बदलाव ARPAnet से शुरू हुआ।
- इसी वर्ष ARPAnet के द्वारा UNIX ऑपरेटिंग सिस्टम को बनाया गया। जिससे एक ही समय में एक ही व्यक्ति कंप्यूटर संसाधनों का उपयोग कर सकते थे।
- वर्ष 1970-80 के बीच ईमेल और कई बड़ी कंपनी जैसे microsoft, Oracle, Apple बनी।
- वर्ष 1980 में IBM ने पहला पर्सनल कंप्यूटर (PC) लांच किया। जिसका नाम IBM5150 था। साथ ही वर्ष 1984 में एप्पल कंपनी ने भी Macintosh कंप्यूटर लांच कर दिया था।
- वर्ष 1985 में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज का वर्जन 1.0 लॉन्च हुआ।
- वर्ष 1994 में Netscape कंपनी बनी। जिसके Web Browsers 1990 के दशक में सबसे ज्यादा लोकप्रिय थे।
- वर्ष 1998 में गूगल कंपनी की शुरुआत हुई।
- वर्ष 1999 में Salesforce.com कंपनी बनी। जिसने बिजनेस एप्स को लॉन्च किया और क्लाउड टेक्नोलॉजी की शुरुआत हुई और एक उपभोक्ता के रूप में क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग करना शुरू हुआ।
- वर्ष 2006 में Amazon Web Service (AWS) लॉन्च हुई। जो क्लाउड सर्विस प्रदान करती थी।
- वर्ष 2009 में गूगल एप्स लांच हुई।
- वर्ष 2010 में सैमसंग और एप्पल ने मोबाइल और टेबलेट बनाना शुरू किया।
- वर्ष 2012 में गूगल के द्वारा Google Drive को लॉंच किया गया। इसके बाद से गूगल क्लाउड सर्विस को यूज़र्स उपयोग कर सकते थे।
- वर्ष 2013 में क्लाउड कंप्यूटिंग का सबसे ज्यादा उपयोग होना शुरू हुआ क्यूँकि इस वर्ष 1 बिलियन लोगों ने स्मार्टफ़ोन उपयोग करना शुरू कर दिया था।
- वर्ष 2013 में वर्ल्डवाइड पब्लिक क्लाउड सर्विस का मार्किट कैप £78 बिलियन तक पहुंच गया और 2014 में इसमें तेजी देखी गई जो £78 बिलियन से बढ़कर £103.8 बिलियन हो गया।
- कुछ वर्षों में आईटी सर्विस की शुरुआत हुई। साथ ही एप्लीकेशन सर्विस प्रोवाइडर और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर का विकास हुआ और इनमे ‘Cloud Computing’ का उपयोग किया जाने लगा।
वर्तमान में क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग हर बड़ी कंपनी और इंटरनेट यूज़र्स कर रहे हैं। वर्ष 1961 में John MCcarthy के द्वारा कहा गया था। कि भविष्य में क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग हम उसी प्रकार करेंगे। जिस प्रकार बिजली, पानी का करते हैं। यानी कि utility के रूप में।
वही वर्तमान में उनका यह कथन सही साबित होता है। आज इंटरनेट उपभोक्ता इंटरनेट का उपयोग किए बिना नहीं रह सकते। जो कि क्लाउड कंप्यूटिंग के द्वारा ही उपयोग में लाई जाती है।
Cloud computing कैसे काम करता हैं?
क्लाउड कंप्यूटिंग ‘Remote Server’ का बड़ा समूह है। यानी कि इसमें जो यूजर का डाटा होता है। वह वेब सर्वर सॉफ्टवेयर जैसे कि डाटा सेंटर के Servers पर अपलोड किया जाता है। बता दें कि क्लाउड Virtual Resources है। व डाटा सेंटर Physical Resources हैं। डाटा सेंटर का उपयोग बिजनेस कम्पनी करती है। जिसमें सिर्फ़ बिजनेस सम्ब्न्धी ज़रूरी जानकारी ही स्टोर की जाती है।
cloud में data center के सर्वर पर आपका डाटा अपलोड हुआ रहता है। जब भी आप अपनी Videos, Files, Photos को ‘क्लाउड सर्विस’ गूगल ड्राइव में अपलोड करते हो तो आपका data गूगल डाटा सेंटर के अलग-अलग सर्वर में अपलोड हो जाएगा। जिसे सिर्फ इंटरनेट के द्वारा ही आप अपने लैपटॉप, कंप्यूटर, मोबाइल में देख या डाउनलोड कर सकते हैं।
ठीक इसी प्रकार अलग-अलग कंपनी ने अपने Data Centers बनाए हैं। जिनमें क्लाउड सर्विसेज़ भी दी जाती हैं। अगर आपका डाटा क्लाउड से मिट जाता है तो भी वह कुछ दिनों तक servers पर रहता है। जिससे बैकअप लिया जा सकता है। आप इंटरनेट पर किसी भी तरह का डाटा अपलोड करते हैं। वह “Cloud Computing” में शामिल है।
नोट: क्लाउड कम्प्यूटिंग को ओर अच्छी तरह से समझने के लिए Cloud Computing Architecture के बारे में आगे पढ़ें।
Cloud Computing के कितने प्रकार होते है- Types of Cloud Computing in Hindi
क्लाउड कंप्यूटिंग के चार प्रकार हैं। जिन्हें “Deployment Models” भी कहा जाता है। इन मॉडल में क्लाउड सर्वर को पब्लिक, प्राइवेट, हाइब्रिड और किसी विशेष समूह के लिए क्लाउड सर्विसेज दी जाती है। आइए इन Deployment Models के बारे में जानते हैं।
1. Public Cloud
क्लाउड कंप्यूटिंग में यह सुविधा ज्यादातर इंटरनेट यूजर्स के लिए दी जाती हैं। जिसमें डेटा को क्लाउड सर्विसेज प्रोवाइडर ही Manage, Store करते हैं। पब्लिक क्लाउड Pay-As-You-Go सर्विस है। यानी कि आप क्लाउड का जितना उपयोग करेंगे। उस हिसाब से आपको Pay करना होगा।
पब्लिक क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर के नाम:
- Amazon Web Services (AWS)
- microsoft Azure
- Google Cloud.
2. Private Cloud
प्राइवेट क्लाउड में ‘Resources’ का उपयोग सिर्फ एक ही व्यक्ति कर सकता है। अब चाहे वह बिजनेस कार्य किसी संस्था के डाटा को सुरक्षित और मैनेज करना चाहता हो। सारी जानकारी सिर्फ एक ही कंपनी जिसको खासतौर पर सर्वर दिए गए हैं वही अपनी डाटा की जानकारी क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर से ले सकती है। बता दे कि कई बड़ी कंपनियां अपने प्राइवेट क्लाउड खुद बनाती है। तो कई इसे किराए पर लेती है।
प्राइवेट क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर के नाम:
- hPE (Hewlett Packard Enterprise)
- VMware (Virtual Machine Ware)
- DELL (Digital Electronic Link Library)
- Red Hot Openstack
3. Hybrid Cloud
हाइब्रिड का मतलब ‘दो चीजों को मिलकर बनाना’ यानी कि इसमें Private Cloud और Public Cloud दोनों ही एक दूसरे के डाटा को शेयर कर सकते हैं या यह सुविधा यूजर्स को दे सकते हैं। जिससे वह एक ही प्रोवाइडर से प्राइवेट क्लाउड उपयोग कर सके और साथ के साथ पब्लिक क्लाउड सर्विस भी दे सके।
हाइब्रिड क्लाउड का सबसे बड़ा उदाहरण Google Cloud है। जो खुद सभी प्रकार की क्लाउड सर्विसेज देता है। चाहे वह प्राइवेट हो जिसमें वह अपना खुद का डाटा और बिजनेस कंपनी का डाटा रखता है। साथ ही पब्लिक क्लाउड सर्विस जैसे “Google Drive” क्लाउड सर्विस भी आम यूजर्स को देता है।
4. Community Cloud
Community cloud में जो कंप्यूटर रिसोर्सेज होते हैं। वह एक ही समूह को दिए जाते हैं। एक ही समूह के डाटा को इन क्लाउड में संभाला जाता है। अब वह समूह हेल्थ केयर, ऑटो, मीडिया, फाइनेंस सर्विस से संबंधित हो सकता है। इन समूह से सम्ब्न्धित कम्पनी अपने डेटा को community cloud पर स्टोर करते हैं। डेटा की सुरक्षा, storage जैसी सभी चीज़ें क्लाउड सर्विसेज प्रोवाइडर संभालते हैं।
Cloud Computing services के कितने प्रकार हैं?
क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस या Cloud Service Models जिसका मतलब क्लाउड कंप्यूटिंग में वो सेवाए जो बिजनेस और इंटरनेट यूजर्स को उनकी आवश्यकता अनुसार दी जाती हैं। जैसे कि क्लाउड कंप्यूटिंग में यह सर्विस मॉडल तीन प्रकार के होते हैं- SaaS, PaaS, IaaS आइए उनके बारे में और ज्यादा जानते हैं।
1. SaaS (Software as a service)
Cloud computing की यह सर्विस इंटरनेट यूज़र्स को दी जाती है। जिसमें एक सॉफ्टवेयर बना दिया जाता है। जिस पर लोग अपना डाटा अपलोड कर सकते हैं। साथ ही अगर यूजर को ज्यादा डाटा स्टोर करना है तो वह अपने हिसाब से क्लाउड स्टोरेज को बढ़ा या घटा सकता है। जिसे उसको पैसे देने पड़ेंगे।
SaaS का मतलब यही है कि “सॉफ्टवेयर को सर्विस की तरह उपयोग करना” जैसे की Google Drive यह एक सॉफ्टवेयर है। जिसका उपयोग हम किसी भी web Browser पर अपने ईमेल की ज़रिए लॉग-इन करके कर सकते हैं। बाकी जो भी आपका डाटा को संभालना, सुरक्षित रखना, वह इस सॉफ्टवेयर को Up-to-date रखना सारा काम क्लाउड प्रोवाइडर (google) का होता है।
saaS (Software as a service) के कुछ उदाहरण है। जो इस प्रकार है: Salesforce, dropbox, gmail, google drive.
2. PaaS (Plateform as a service)
क्लाउड कंप्यूटिंग में PaaS का हिंदी मतलब “किसी सर्विस के लिए एक प्लेटफार्म देना” यानी कि क्लाउड कंप्यूटिंग में यह सर्विस Devolopers को ऐसा प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है। जिसमें वह एप्लीकेशन या सर्विस बना सकता है। जिसका डाटा क्लाउड कंप्यूटिंग में स्टोर होगा। हालांकि PaaS (Platform as a service) में आप अपने मनचाहे ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम नहीं कर सकते। परंतु डेवलपर्स को एप्लीकेशन या सर्विस की Testing, Delivery और Manage करने जैसी सभी सेवाएं मिलती है।
PaaS (plateform as a service) के कुछ उदाहरण है। जो इस प्रकार है: AWS Elastic Beanstalk, Windows Azure, Google App Engine.
3. IaaS (Infrastructure as a service)
क्लाउड कंप्यूटिंग के IaaS (infrastructure as a service) सर्विस मॉडल में उपभोक्ता (Consumer) को web-application डेवलप के लिए बुनियादी ढांचा यानी infraStructure (Virtual Machine, Virtual Storage, Physical machine) दिया जाता है।
यह सभी Computing Resources उपभोक्ता को क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा दी जाती है। जिसमें आप जिन सर्विस का प्रयोग करेंगे। उस हिसाब से आपको पैसे देने होंगे।आप अपनी सर्विस को कम या ज्यादा कर सकते हैं। अपनी web Apps को अपने पसंदीदा ऑपरेटिंग सिस्टम पर बना सकते हैं।
जैसे कि IaaS में आप Application, data, Runtime, Middleware, O/S को खुद मैनेज कर सकते हैं। वही क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर Virtualization, Servers, Storage, Networking को उपभोक्ता के अनुसार मैनेज करेगा। इसके अलावा iaaS सर्विस में Administrator को IP Address, VLAN, Load Balance जैसी सेवाएं भी दी जाती है।
IaaS (Infrastructure as a service) के कुछ उदाहरण है। जो इस प्रकार है: Google App Engine, AWS (amazon web service), Digital Ocean, Google Cloud.
विश्व के Best Cloud Service Providers
आज के समय में Cloud Service पूरे विश्व में फैली हुई है। ज्यादातर अपने डेटा को Cloud पर स्टोर करने पर ज्यादा विश्वास करते हैं। इंटरनेट यूजर हो चाहे बिजनेस, संस्था इन सभी को क्लाउड सर्विस भरोसा दिलाने और पैसा बचाने में क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर्स की अहम भूमिका है। चलिए जानते हैं वह बेस्ट क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस प्रोवाइडर्स कौन से हैं।
1. Amazon Web service (AWS)
AWS को मार्च,2006 में लॉन्च किया गया था। यह विश्व की सबसे बड़ी क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस प्रोवाइडर है। बता दें कि विश्व की टॉप बड़ी कंपनी ऐमज़ान वेब सर्विस (AWS) का उपयोग करती हैं। जिसमें Reddit, Instagram, NASA, Quora, Tata Motors, Twitch, WIX, Netflix शामिल है। AWS का क्लाउड मार्केट में 32% मार्केट शेयर है। जो बाकी क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर्स में सबसे ज्यादा है।
2. Microsoft Azure
Azure को 1 फरवरी 2010 को लांच किया गया था। Azure का क्लाउड मार्केट में 20% शेयर है। बता दें कि Azure cloud का उपयोग कई बड़ी कंपनी कर रही है जिनमें Delta, Coca-cola, microsoft-Bing, bosch जैसी कंपनीज शामिल है। यह विश्व की दूसरी बड़ी Cloud Service Provider कंपनी है।
3. Google Cloud Plateform (GCP)
गूगल क्लाउड सर्विस की शुरूआत साल 2008 में हुई थी। जब Google App Engine को लांच किया गया था। गूगल की यह पहली क्लाउड सर्विस थी। धीरे-धीरे कर गूगल ने अपनी क्लाउड सर्विस को End Users, Developers और Business के लिए बढ़ाया। वही आज गूगल Secourity, Reputation, Flexibility, Realbility में सबसे आगे है।
बता दें 27 प्रतिशत बिजनेस और संस्थाएं गूगल क्लाउड प्लेटफॉर्म (GCP) का उपयोग करती हैं और गूगल क्लाउड का क्लाउड मार्केट में 9% मार्केट शेयर है। गूगल क्लाउड विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर कंपनी है।
Cloud computing के उपयोग- Uses of cloud computing
लगभग हर तरह की Apps आज क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग कर रही है। आप चाहे किसी म्यूजिक ऐप पर गीत सुनते हो या फिर अपने डाटा को गूगल ड्राइव पर अपलोड करते हो। इंटरनेट पर हर फोटोस वीडियोस को अपलोड करना क्लाउड कंप्यूटिंग से जुड़ा है।
चाहे कोई Movies, TV, Games, Email भेजना हम इन सभी सर्विस का उपयोग क्लाउड कंप्यूटिंग के जरिए ही कर पा रहे हैं। व हमारा डाटा Cloud Computing के जरिए मैनेज किया जाता है। चलिए अब क्लाउड कंप्यूटिंग के उपयोग के बारे में जानते हैं।
1. डाटा रिकवरी और बैकअप
जो ऐप्स क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग करती हैं। उनमें आप अपने डेटा का Backup लेकर रख सकते हैं। जिससे किसी कारणवश आप अपना डाटा मिटा देते हैं। तो आप Data Recover कर सकें। जैसे Gmail में हम अपनी Email का बैकअप कर सकते हैं। साथ ही गूगल ड्राइव में भी अपनी फोटोज, वीडियोस, फाइल्स का बैकअप ले सकते हैं। ताकि उन्हें बाद में रिकवर किया जा सके।
2. नई ऐप्स और सर्विस बनाना
क्लाउड कंप्यूटिंग की IaaS (infrastructure as a service) सर्विस में यूजर्स कंप्यूटर रिसोर्सेज का उपयोग कर नई Apps और Services को बना सकते हैं। डेवलपर्स को इस सर्विस के तहत सभी सेवाएं उपलब्ध कराई जाती है। जोकि Pay-As-You-Go यानी कि जितनी सर्विस की डिमांड उतना पैसा आपको क्लाउड कंप्यूटिंग प्रोवाइडर्स को अदा करना होगा।
3. वेबसाइट और ब्लॉग होस्टिंग
किसी भी नए ब्लॉग या वेबसाइट को बनाने पर यूज़र अपना ब्लॉग या वेबसाइट संबंधी डाटा के लिए उसको host करने की Server की जरूरत होती है। ऐसे में क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस प्रोवाइडर बेहतरीन Speed और Security के साथ सबसे ज्यादा उपयोग में लाए जाते हैं।
4. ऑडियो और वीडियो स्ट्रीमिंग
Spotify, Netflix जैसी ऐप्स हमें ऑडियो स्ट्रीमिंग भी क्लाउड सर्विस के जरिए की जाती हैं। instagram जैसी ऐप्स पर हम वीडियोस और ऑडियोज स्ट्रीमिंग देख पाते हैं। ज्यादातर कंपनी के अपने Data Center नहीं होते। वह क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर से सर्वर खरीदते हैं। जिससे इन कंपनीज का अपने ऐप्स डेटा को Maintenance और secure करने का खर्चा बच जाता।
5. ऑनलाइन एग्जाम
क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग बड़े कॉलेज/विश्वविद्यालय करते हैं। जिनमें वह स्टूडेंट्स की सभी जानकारी, प्रश्नपत्र समेत हर तरह की जानकारी Cloud Server पर ही सुरक्षित रहती है। करोना काल के दौरान इन सर्विस का उपयोग ऑनलाइन एग्जाम में सबसे ज्यादा हुआ। कम समय में प्रश्न पत्रों को एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज तक पहुंचा दिया जाता था। जिसके कारण क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस की मांग सबसे ज्यादा बढ़ी।
Cloud Computing Technology कौन सी है?
क्लाउड कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी का मतलब जो भी सर्विस क्लाउड सर्वर के द्वारा Clients को दी जाती है। वह क्लाउड टेक्नोलॉजी के जरिए उपलब्ध कराई जाती है जो की इस प्रकार हैं?
1. Virtualization
आसान भाषा में Virtualization का मतलब Physical Resources को Virtual Resources के जैसे उपयोग करना। क्लाउड कंप्यूटिंग में वर्चुअलाइजेशन का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। जैसे कि क्लाउड प्रोवाइडर के पास एक ही Cloud Server है। जिसमें बड़ी मात्रा में Processors, Ram, Rom, Network का उपयोग हुआ है।
अब जो Clients क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस का उपयोग करना चाहते हैं। वह क्लाउड प्रोवाइडर्स से Physical Resources किराए पर लेना चाहते हैं। तो ऐसे में प्रोवाइडर के पास एक ही क्लाउड सर्वर है। जिसमें बड़ी मात्रा में Resources उपलब्ध है।
तो clients कि इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए यह प्रोवाइडर अपने Physical Resources यानि की Cloud Server को Virtual Resources में Hypervisor का उपयोग करते हैं। जिसे वर्चुअल मशीन मॉनिटर (VMM) भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का सॉफ्टवेयर है। इसके उपयोग से Cloud Server के Physical Resources का उपयोग कर कई Virtual Machine (VM) बनाते हैं।
जो कि clients को उसकी ज़रूरत अनुसार यह Resources दिए जाते हैं। जैसे कि अगर वह कम Virtual Resources चाहता है तो उसे कम Resource दिए जाते हैं। बदले में क्लाइंट इन Cloud Service Provider को pay करता है।
बता दें की Hypervisor से जो Virtual Machine बनते है। इन सब मशीनो का अलग अलग कार्य होता है। जिस उद्देश्य से client इनका उपयोग करेगा। वह उस प्रकार काम आएगी।
वर्चुअलाइजेशन के प्रकार (Types of Virtualization) :
- Hardware Virtualization
- Operating system Virtualization
- server virtualization
- storage virtualization
2. Service-Oriented Architecture (SOA)
आसान भाषा में Service-Oriented Architecture (SOA) के द्वारा डेवलपर्स “Application” को बाहरी सेवाओं का उपयोग करते हुए devlope कर सकता है। जो इंटरनेट पर चलती हैं।
जैसे कि GPS एक पहले से बनी सर्विस है। जिसका अधिकार united States (US) के पास है। अपने डेवलपर एप्लीकेशन/सॉफ्टवेयर बनाता है। तो वह GPS का उपयोग अपनी App में जरूर करेगा। तो जब हम पहले से बनी सर्विस का उपयोग कर अपनी एप्लीकेशन बनाते हैं। तो उस समय जो Architecture काम में लिया जाता है। वह सर्विस-ओरिएंटेड आर्किटेक्चर (SOA) होता है।
यह सर्विस कुछ भी हो सकती है चाहे Add Photo, Time, Add location इत्यादि। जो भी Developers ऐप में उपयोग करना चाहता है। SOA में सभी सर्विस एक-दूसरे से Communicate करती हैं। डेवलपर के द्वारा बनाई एप्लीकेशन जिस service का उपयोग करेगी। आसानी से उसका उपयोग किया जा सकेगा।
Developer उन Independent Service का उपयोग एप्लीकेशन/सॉफ्टवेयर में उन सर्विस को Request करके कर सकता है।
3. Grid Computing
Grid Computing को “Distributed Computing” भी कहा जाता है। आसान भाषा में एक ग्रिड कंप्यूटिंग में उन कंप्यूटर रिसोर्सेज का उपयोग किसी टास्क को पूरा करने में किया जाता है। जो उपयोग में नहीं है या किसी एक मशीन से पूरे नहीं किए जा सकते। यह Computer Resources का संग्रह है।
जिसे किसी टास्क को पूरा करने के लिए मिलाया जाता है। यह Resources इस तरह होते हैं: Database, Pc’s, Super computer, laptops इन सभी को मिलाकर ‘ग्रिड कंप्यूटिंग’ बनता है। इन Resources को संभालने का काम Middleware सॉफ्टवेयर करता है। ग्रिड कंप्यूटिंग का उपयोग ATM Machine में होता है।
4. Utility Computing
Utility Computing का मतलब ऐसी सेवाएं जो लोगों को उनकी जरूरत के अनुसार दी जाती हैं। इन सेवाओं के लिए कंपनी यूज़र्स से पैसे लेती है। यानी कि यूटिलिटी कंप्यूटिंग Pay-Per-use मॉडल पर आधारित है। बड़ी कंपनी है जैसे गूगल, ऐमेज़ॉन, एप्पल अपने यूजर्स को cloud Storage service देती है।
जिसमें वह अपनी Usage के आधार पर इन कंपनी से Storage ख़रीदता है। यूजर की डिमांड स्टोरेज में कम या ज्यादा हो सकती है। उस हिसाब से कंपनी यूज़र्स से पैसे लेती है। अकेला cloud Storage ही नहीं यह कंपनी किसी भी तरह के Computer Respurces यूज़र्स को प्रदान करती है। Utility Computing आईटी सर्विस (IT) मॉडल में काफी पॉपुलर है।
क्लाउड कंप्यूटिंग आर्किटेक्चर क्या है?- Cloud Computing Architecture in Hindi
क्लाउड आर्किटेक्चर का मतलब कि cloud Computing को बनाने में किन तकनीकी तत्वों का उपयोग किया गया है।क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस (SaaS, PaaS, IaaS) और कंप्यूटर रिसोर्सेज जैसी सभी चीजें Cloud computing Architecture में आती है।
क्लाउड कंप्यूटिंग आर्किटेक्चर को दो भागों में बांटा गया है:
1. Front End
front end का मतलब client-side Interface से है। किसी क्लाउड एप्लीकेशन/सर्विस का उपयोग करते वक्त Client को स्क्रीन पर जो कुछ चीजें प्रदर्शित होती है। वह “Front End” कहलाती है। जैसे वेब ब्राउज़र, यूजर इंटरफेस (UI) इत्यादि। Front End आर्किटेक्चर का उपयोग Client करता है।
2. Back End
Back End का मतलब क्लाउड कंप्यूटिंग में सर्विस या एप्लीकेशन को Run करने में उसके Back End में किन रिसोर्सेज का उपयोग हो रहा है। जो क्लाइंट को Front end में दिख रहे हैं। वह Back End कहलाता हैं। Back End में जो भी रिसोर्सेज किसी सर्विस को Run करने में उपयोग में लाए जाते हैं। वह सर्विस प्रोवाइडर उपलब्ध कराता है।इसलिए Back End का उपयोग सर्विस प्रोवाइडर करता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग आर्किटेक्चर के तत्व:
- Client infrastructure
- application
- run time cloud
- storage
- management
- Security
- internet
Cloud computing की विशेषताएं- Characteristics of Cloud Computing
क्लाउड कंप्यूटिंग की कुछ विशेषताएं इस प्रकार है:
1. क़ीमत (cost)
नए बिजनेस को शुरू करने में सबसे पहले समस्या बिजनेस डाटा को स्टोर करने में आती है। ऐसे में Cloud computing प्रोवाइडर से यूजर्स सेवाएं लेते हैं। क्लाउड सर्वर का उपयोग कर यूजर अपना वह पैसा बचा सकते हैं। जो आप खुद के डाटा सेंटर बनाने में लगाने वाले थे। साथ ही डाटा सेंटर को मैनेज करने के लिए टीम की जरूरत पड़ती है। जिस पर मोटी रकम खर्च होती है। जिसको आप Cloud Computing का उपयोग कर बचा सकते हैं।
2. गति (speed)
क्लाउड सर्वर की गति सबसे तेज होती है। यूजर आसानी से अपने डेटा को सर्वर पर अपलोड कर सकता है। प्रोवाइडर्स को पता है कि लोग क्लाउड को उपयोग हैवी डाटा स्टोर करने हेतु करेंगे। इसलिए इन्हें पावरफुल और तेज गति सरवर बनाया गया है। जो करोड़ों-अरबों लोगों का डाटा संभाल लेते हैं। समय के साथ प्रोवाइडर कंपनी इन्हें अपडेट करती रहती है। जिसे इनकी सुरक्षा पुख्ता हो जाती है।
3. असीमित भंडारण (Unlimited storage)
क्लाउड कंप्यूटिंग की किसी भी ऐप या वेब ब्राउज़र सर्विस का उपयोग करते हुए यूजर को उसमें अनलिमिटेड स्टोरेज मिलता है। जिसमें आप सर्विस के अनुसार उतना Cloud Storage किराए पर ले सकते हैं। या कई Apps में आपको इसके लिए कोई भी पैसा देना नहीं पड़ता।
4. बैकअप एंड रिकवरी
क्लाउड में यूजर अपने डाटा को Recover कर सकता है। और backup भी जिससे डाटा को सुरक्षित रखना आसान हो जाता है। आज हर स्मार्टफोन में हर प्रकार के डाटा का बैकअप लेने की सुविधा है। यह एक क्लाउड कंप्यूटिंग का ही हिस्सा है।
5. सुरक्षा (Security)
क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर क्लाउड कंप्यूटिंग सर्वर पर मौजूद डाटा को हैकर्स और स्पैमर्स से सुरक्षित रखते हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग में डाटा Encrypted फॉर्म में स्टोर होता है। जिसे Decrypt करना नामुमकिन है।
6. विश्वसनीयता (reliability)
Cloud Computing में सबसे बड़ी विशेषता इस पर बड़ी बिजनेस कंपनी और इंटरनेट यूजर का विश्वास है। क्लाउड कंप्यूटिंग Modular Program Structure पर आधारित है। जिसमें सिस्टम में किसी भी तरह का Failure आने पर खुद ब खुद सिस्टम उस Failure से रिकवर हो जाएगा। जिससे किसी भी तरह का Data Loss नहीं होगा। इसी तरह की खास विशेषताएं क्लाउड कंप्यूटिंग पर लोगों का विश्वास बढ़ाती हैं।
क्लाउड कंप्यूटिंग के लाभ- Advantages of cloud computing
- क्लाउड कंप्यूटिंग को किसी भी समय कहीं से भी उपयोग कर सकते हैं।
- क्लाउड कंप्यूटिंग में जिसे सर्विस का उपयोग यूजर करेगा उतना ही यूजर को pay करना होगा।
- Cloud computing नए बिजनेस का डाटा को store करने पर आने वाले खर्च को कम करता है। इसमें हार्डवेयर और उसके रख-रखाव की जरूरत नहीं पड़ती।
- क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस में स्टोरेज को घटाया बढ़ाया जा सकता है।
- क्लाउड कंप्यूटिंग On-Demand self service है। जिसमें यूजर सीधा cloud vendors से storage के लिए डील कर सकता है। यूजर को Direct Customer Support मिलता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग के नुकसान- Disadvantages of cloud computing
- क्लाउड कंप्यूटिंग स्टोरेज को सिर्फ इंटरनेट के द्वारा ही Access किया जा सकता है।
- क्लाउड कंप्यूटिंग में Data क्लाउड स्टोरेज पर स्टोर होता है। जो इंटरनेट पर आधारित है। इससे हैकर्स और स्पैमर्स का खतरा इनपर बना रहता है।
- कई बार सुरक्षा कारणों से क्लाउड सर्वर को अपडेट किया जाता है। जिससे सर्वर डाउन जैसी समस्या देखने को मिलती है। इससे बिजनेस का काफी नुकसान होता है।
- ग़लत क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर्स चुन लेने के बाद बिजनेस को नुक़सान हो सकता हैं।
क्लाउड कंप्यूटिंग से जुड़े कुछ सवाल-जवाब (FAQ)
Cloud Computing कितने प्रकार की होती है?
क्लाउड कम्प्यूटिंग के चार प्रकार है- 1. Public Cloud 2. Private Cloud 3. Hybrid Cloud 4. Community Cloud
Cloud computing services कौन-सी है?
क्लाउड कम्प्यूटिंग सर्विस तीन तरह की है- 1. SaaS (Software as a Service) 2. PaaS (Plateform as a service) 3. IaaS (infrastructure as a service)
Cloud Computing Technology के चार प्रकार कौन से है?
क्लाउड कम्प्यूटिंग टेक्नॉलजी के चार प्रकार- 1. Virtualization 2. Service-Oriented Architecture 3. Grid Computing 4. Utility Computing
क्लाउड कम्प्यूटिंग और डेटा सेंटर में क्या अंतर है?
क्लाउड कम्प्यूटिंग एक Virtual Resources है। जिसे सिर्फ़ इंटरनेट के ज़रिए Access किया जाता है। जबकि डेटा सेंटर एक Physical Resources है। क्लाउड कम्प्यूटिंग को डेटा सेंटर के सर्वर से बनाया जाता है।
Virtual Resources और Physical Resources क्या है?
क्लाउड कम्प्यूटिंग एक Virtual Resources है। जिसे हम देख या छू नहीं सकते। परंतु इसके storage को Access कर सकते है। वही डेटा सेंटर एक Physical Resources है। जिसको बड़ी जगह पर बनाया जाता है। जिन्हें देखा और छुआ जा सकता है।
निष्कर्ष-
Cloud Computing पूरी तरह से इंटरनेट पर आधारित है और वर्तमान में विश्व की 69% आबादी इंटरनेट का उपयोग करती है। जिससे बड़ी मात्रा में फेसबुक, गूगल, इंस्टाग्राम, यू-ट्यूब जैसी एप्स डाटा को स्टोर करती है। इंटरनेट यूजर हर दिन,घंटे,मिनट सोशल मीडिया पर डाटा अपलोड करते हैं।
जिसमें एक क्लाउड कंप्यूटिंग का ही उपयोग हो रहा है। इसके अलावा जो नए स्टार्टअप शुरू होंगे। वह भी क्लाउड स्टोरेज का उपयोग करेंगे। यानी कि सब कुछ आज इंटरनेट पर है तो हर प्रकार की सर्विस इंटरनेट के माध्यम से ही दी जाएगी।
जिससे cloud Computing का भविष्य में उपयोग आज से कई गुना बढ़ जाएगा। इसलिए इसमें करियर बनने के भी ज्यादा अवसर हैं। क्लाउड कंप्यूटिंग को हम आने वाले वर्षों में Utility की तरह उपयोग करेंगे।
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