Radar क्या है- What is Radar In Hindi- हैलो दोस्तों,आज मैं आपको Radar क्या है के बारे में इस ब्लॉग पोस्ट में पूरी जानकारी दूंगा। आपने ऊपर उड़ते हुए विमानों को तो अवश्य देखा ही होगा। परंतु क्या आपको पता है यह विमान अपने लक्ष्य पर हवा में एक स्थान से दूसरे स्थान तक कैसे पहुंच जाते हैं।और किसी दूसरे देशों के वायुयानों को अपने देश की सीमाओं में प्रवेश होने पर कैसे सुरक्षा अधिकारियों को पता लग जाता है। तो इन सभी प्रश्नों का उत्तर “Radar” है जिसके बारे में पूरी जानकारी आगे हम जानेंगे। दोस्तों पोस्ट को ध्यान पूर्वक पूरा पढ़े और समझे।
Radar क्या है- What is Radar In Hindi
Radar एक ऐसा सिस्टम है। जिसमें रेडियो तरंगों का प्रयोग करते हुए किसी वस्तु या चीज की दूरी और आकृति में वह वस्तु किस प्रकार की है। इसके अलावा दिशा और वह वस्तु कितनी ऊंचाई पर उड़ रही है का पता लगाया जा सकता है। Radar की फुल फॉर्म “Radio Detection And Ranging” है।
रडार का प्रयोग प्राय: दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पहली बार किया गया था। रेडियो तरंगों को Radar Transmitter छोड़ा जाता है। यह तरंगे एक निश्चित क्षेत्र में गमन करती रहती हैं। जब भी कोई वस्तु इन तरंगों के संपर्क में आती है। यह तिरंगे वापिस Radar Receiver में आ जाती है। जिसे यह पता लग जाता है कि उस वस्तु की ऊंचाई,आकार,दिशा और गति कितनी है।
Radar को किसने और कब बनाया ?
रडार के आविष्कारक “Heinrich Hertz” है Hertz के द्वारा ही रडार के बारे में लोग कई अहम बातें जान पाए थे। Hertz ही सबसे पहले जान पाए की रेडियो तिरंगे किसी ठोस वस्तु के संपर्क में आने पर परावर्तित हो जाती हैं। परंतु उस समय में संसाधनों की कमी होने की वजह से वह रडार सिस्टम को बना नहीं पाए। वर्ष 1922 में “Hoyt Taylor” और “Leo C. Young” जो कि अमेरिकी नेवी में रिसर्चर की भूमिका में काम करते थे। इन दोनों ने रडार में ट्रांसमीटर और रिसीवर को जोड़ा। जिसके बाद से इनके इस काम के बेहतर परिणाम सामने आने लग गए। इसके बाद से कई आधुनिक रडार सिस्टम को तैयार किया गया।
जिसे सेना संबंधी,अंतरिक्ष संबंधी,मौसम का पता लगाना ,एयर ट्रैफिक कंट्रोल जैसे कार्यों में प्रयोग किया गया। जो पुराने वक्त के रडार होते थे। वह 500 से 600 मीटर की दूरी मे आने वाले Object को पहचान सकते थे। परंतु अब के समय में यह रडार 50 से 60 किलोमीटर के क्षेत्र में आने वाली Objects का पता लगा सकते हैं।
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रडार कितने प्रकार की होते है – Types Of Radar in Hindi
रडार दो प्रकार के होते हैं जो कि इस प्रकार है।
(क) Bistatic Radar क्या है।
Bistatic Radar में दो प्रकार के एंटीना का प्रयोग किया जाता है। पहला Transmitter और दूसरा Receiver ध्यान दें कि यह अलग–अलग दो एंटीना होते हैं। इन एंटीना को एक दूसरे से दूर रखा जाता है। ताकि बीच में उचित दूरी बनी रहे और टारगेट को आसानी से पकड़ा जा सके।
Bistatic Radar कैसे काम करता है।
जब Transmitter से सिग्नल को छोड़ा जाता है तो सिग्नल टारगेट को डिटेक्ट करता है। और सिग्नल के टारगेट को डिटेक्ट करते ही इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगों का कुछ Portion टारगेट में चला जाता है। और बाकी की तरंगे रिसीवर Antenna की तरफ से Reflect हो जाती हैं। जिससे तिरंगे रिसीवर से होते हुए। रडार डिस्प्ले में टारगेट को Show करा देती हैं।
(ख) Monostatic Radar क्या है।
Monostatic Radar में ट्रांसमीटर और रिसीवर का काम एक ही एंटीना के द्वारा होता है। Duplexer के द्वारा रिसीवर और ट्रांसमीटर को एक ही एंटीना से बदला गया। जिसके कारण एक ही एंटीना से दो काम लिया जा सके।
Monostatic Radar कैसे काम करता है?
इसमें ट्रांसमीटर और रिसीवर Duplexer के साथ जुड़े होते हैं। Duplexer से तरंगे निकलती है उसी दौरान ट्रांसमीटर को शार्ट सर्किट कराकर चालू कर देते हैं। इसी दौरान रिसीवर व Open-Circuit हो जाता है। ट्रांसमीटर से निकली तरंगों को हम टारगेट तक पहुंचा देते हैं।
टारगेट से टकराकर Electromagnetic Ways वापस आ जाती हैं। इसके बाद एक ही एंटीने का प्रयोग दो काम यानी ट्रांसमीटर और रिसीवर के लिए किया जाता है। इसमें यहां पर Duplexer अपनी अहम भूमिका निभाता है। तरंगों को प्राप्त करने के लिए Duplexer शॉर्ट सर्किट के द्वारा रिसीवर को चालू कर देगा और ट्रांसमीटर को Open-Circuit कर देगा। इस प्रकार से Monostatic Radar कार्य करता है।
रडार कैसे काम करता है?
अब हम आपको आसान भाषा में समझाने की कोशिश करते हैं। कि रडार कैसे काम करता है। रडार को काम करने में मुख्यतः चार चीजें महत्वपूर्ण है जो कि इस प्रकार है–
Magnetron,Transmitter,Receiver और Screen.
Magnetron रेडियो तरंगों को पैदा करता है। इसके बाद एंटीना के जरिए इन तरंगों को Transmitter एंटीना की तरफ छोड़ा जाता है। फिर यह एंटीना इन तरंगों को चारों तरफ फैला देता है। चारों तरफ रेडियो तरंगों के गमन करने से अगर कोई ऑब्जेक्ट इन तरंगों के संपर्क में आता है। तो यह तरंगे Object से टकराकर मुढ़ती हैं। और फिर पहुंचती है Receiver एंटीना पर रिसीवर पर पहुंचने के बाद इन तरंगों को Screen पर Analyze किया जाता है। जिसे Object की उड़ने की ऊंचाई,दिशा,गति आदि का पता चल पाता है।
इसी प्रकार अगर आसमान में कोई भी वायुयान होता है तो तरंगे उसे टकराती है और Receiver तक पहुंचती है।और फिर Screen पर वाहन का पता लग जाता है। बता दें कि Radar पर वायुयान की स्थिति एक बिंदु के जैसी प्रदर्शित होती है। Radio Waves बार–बार वायुयान से टकराती है। जिससे उस वायुयान की स्थिति का पता चल पाता है कि वह किस दिशा में गमन कर रहा है।
रडार के प्रयोग –
- सेना संबंधी कार्यों में
- कानूनी कार्य जैसे वाहनों की गति का पता लगाना
- ट्रैफिक कार्यों मेंअंतरिक्ष संबंधी कार्यों में
- मौसम का पता लगाना
- वायुयान की दिशा,गति और स्थिति का पता लगाने के लिए
- समुद्री जलयान कार्यों में
Conclusion ( निष्कर्ष )
दोस्तों जमीन से लेकर आसमान तक रडार की रेडियो तरंगे पूरे विश्व को घेरे हुए हैं। हर एक देश का अपना Radar System है। जो सेना वायुयानो,जलियानो की गतिविधि पर नजर रखता है। अंतरिक्ष से पृथ्वी तक संपर्क के लिए भी रडार का ही प्रयोग किया जाता है। ऐसे में इतनी महत्वपूर्ण Radar Technology का जानना हमारे लिए आवश्यक था।
मैं यह आशा करता हूं कि आप इस पोस्ट के जरिए रडार से जुड़ी सभी बातों और जानकारी को जान चुके होंगे। अगर आपको हमारी पोस्ट Radar क्या है अच्छी लगी तो हमें नीचे कमेंट के जरिए अवश्य बताएं।
Bahut hi achcha karya hai sar aapane bahut hi Sundar likha hai aur samajh mein bhi aaya hai aap aise hi hi vibhinn prakar ki jankari logon ko dete rahen
कॉमेंट करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ज़्यादा जानकारी के लिए जुड़े रहे हमारी वेबसाइट के साथ 🤗